सुनील मिश्र, लखनऊ राजधानी में बाकी इमारतें तो दूर, सत्ता के गलियारों में ही से बचाव के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। बार-बार निरीक्षण होने और इसकी रिपोर्ट भेजने के बाद भी और में इंतजाम दुरुस्त नहीं किए गए हैं। इन दोनों इमारतों में ही पूरे प्रदेश के नियम-कानून बनाए जाते हैं। सभी मंत्री-विधायक और आला अफसर यहीं बैठते हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार इन दोनों इमारतों के लिए अभी तक फायर सर्विस की एनओसी तक हासिल नहीं कर सके हैं। 3 जुलाई को पिकप भवन में लगी आग में सैकड़ों फाइलें जल गई थीं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने तुरंत इसकी जांच के आदेश दिए थे। इस बीच अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने 11 अगस्त को बैठक बुलाई, जिसमें सामने आया कि विधान भवन और बापू भवन के लिए फायर एनओसी अब तक नहीं ली जा सकी है। इस पर उन्होंने सीएफओ सचिवालय भवन और लखनऊ पर नाराजगी भी जताई थी। दो बार लग चुकी है आग 23 नवंबर 2015 को बापू भवन की पांचवीं मंजिल पर निबंधन अनुभाग में लगी आग में सारे दस्तावेज जल गए थे। इस हादसे के बाद भी विभाग नहीं चेता। 17 नवंबर 2016 को बापू भवन में फिर आग लग गई। इस घटना के बाद भी विधान भवन, योजना भवन, एनेक्सी और बापू भवन में फायर सेफ्टी का ऑडिट कर कमियों की रिपोर्ट डीजी फायर सर्विस और शासन को भेजी गई थी। इस रिपोर्ट में भी विधान भवन और बापू भवन की फायर एनओसी के लिए आवेदन न किए जाने का जिक्र था। पिछली जांच में मिली थीं खामियां बापू भवन आग लगने पर लिफ्ट और सीढ़ियों के पास धुआं रोकने वाला प्रेशराइजेशन सिस्टम नहीं है। स्मोक और फ्लेम डिटेक्शन सिस्टम काम नहीं कर रहा। पाइप लाइन जर्जर होने के कारण पानी का प्रेशर पड़ने पर फटने लगता है। विधान भवन सभी खिड़कियों को बंद कर एसी सिस्टम लगाया गया है। निर्माण में बदलाव कर बनाए गए कमरे आग में खतरे का सबब बन सकते हैं। असेंबली हॉल में एसी सिस्टम के लिए खिड़कियां बंद कर दी गई हैं। विधान परिषद के ऊपर पुराने फर्नीचर का कबाड़ रखा गया है। सुझाव के बाद भी सभी फर्नीचर और कारपेट पर अग्निरोधक पेंट नहीं लगाया गया है। पानी की जर्जर पाइप लाइन नहीं बदली गई है। बाकी इमारतें भी खतरे में बैठक के बाद अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने 16 अगस्त को सभी शासकीय भवनों का फायर ऑडिट करवाने का आदेश जारी किया था। इस पर डीएम कौशलराज शर्मा ने रिहायशी और व्यावसायिक भवनों में आग से बचाव के इंतजाम की जांच के लिए आठ कमिटियां बनाई हैं। इन कमिटियों की अब तक की जांच में जवाहर भवन, इंदिरा भवन, योजना भवन, एनेक्सी, केजीएमयू, लॉप्लास, सीमैप और महानगर स्थित सचिवालय कॉलोनी में सबसे ज्यादा खामियां मिलीं। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन साल इन इमारतों का चार बार निरीक्षण कर कमियों की रिपोर्ट शासन, जिला प्रशासन और राज्य संपत्ति विभाग को भेजी जा चुकी है। इसके बावजूद कहीं भी इंतजाम पुख्ता नहीं किए गए हैं। वहीं इस मामले में यूपी फायर सर्विस विश्वजीत महापात्रा ने कहा कि विधान भवन और बापू भवन की एनओसी के लिए विभाग की ओर से आवेदन ही नहीं किया गया। आवेदन आने पर नियमानुसार एनओसी दी जाएगी।
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