नई दिल्लीदिल्ली के पास भी अब पानी की कमी नहीं रहेगी। का पानी राजधानी में रंग दिखाने लगा है। बाढ़ के तीन दिनों के दौरान ही पल्ला के पास सुंगरपुर गांव के आसपास यमुना किनारे 0.25 से एक मीटर तक बढ़ा है। ये नतीजे काफी उत्साहित करने वाले हैं। यह पायलट प्रॉजेक्ट इसी साल शुरू किया गया है, इसके नतीजे पर पिछले साल इस प्रॉजेक्ट को 1000 एकड़ तक के क्षेत्रफल में फैलाया जाएगा। दिल्ली सरकार ने पानी की बढ़ती समस्या के चलते यमुना में बाढ़ के दौरान आनेवाले पानी को स्टोर करने की योजना पर काम शुरू किया। दरअसल यमुना किनारे मिट्टी की लेयर काफी सख्त हो गई है, जिसकी वजह से पानी जमीन के नीचे नहीं जा पाता है। इसलिए यमुना के किनारे गड्ढे किए जा रहे हैं। करीब एक मीटर तक यमुना के किनारे जमीन को एक मीटर तक खोदा जा रहा है। इससे रेत आने लगती है। रेत से पानी अधिक मात्रा में जमीन के नीचे जाता है। वहीं दूसरी तरफ गड्ढा होने से यहां पानी कुछ देर के लिए ठहर भी रहा है। रिपोर्ट में सामने आया है कि यमुना के दोनों तरफ फ्लड प्लेन में 40 मीटर की गहराई तक रेत है। हजारों एकड़ में यह रेत है। ऐसे में इस साल पायलट प्रॉजेक्ट के लिए 35 एकड़ एरिया में यह प्रयोग किया जाना तय किया था। लेकिन यमुना में बाढ़ समय से पहले आ गई और प्रॉजेक्ट के लिए महज 20 एकड़ जमीन में गड्ढे हो पाए हैं। पिछले तीन दिन के दौरान इन गड्ढों में पानी पूरी तरह भरा हुआ है। अब इस पानी को लेकर लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। प्रॉजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, तीन दिन के दौरान यमुना फ्लड प्लेन में गड्ढे के दोनों तरफ 100 मीटर एरिया में भूजल स्तर एक मीटर तक, अगले 250 मीटर एरिया में आधा मीटर, और इसके बाद करीब 400 मीटर तक 0.25 मीटर तक भूजल स्तर बढ़ा है। अभी पानी गड्ढों में भरा हुआ है, ऐसे में आनेवाले दिनों में जलस्तर और बढ़ेगा। हालांकि इस प्रॉजेक्ट की पूरी रिपोर्ट अक्टूबर तक ही सामने आ पाएगी। बाढ़ नियंत्रण विभाग के विशेषज्ञ के अनुसार, प्रॉजेक्ट सफल रहा तो 2022 तक दिल्ली में पानी की समस्या खत्म हो जाएगी। अभी दिल्ली में 1200 एमजीडी पानी की डिमांड है। सप्लाइ सिर्फ 940 एमजीडी हो पा रही है।
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